तुम मेरी बात समझ रहे हो, अच् छे अजांग, या हमेशा की तरह मैं दीवार पर माथा फोड़ रही हूं? ओह, इसकी ग़लतफ़हमी में मत रहना कि दूर चले गए किसी निर्मोही अजनबी के लिए, या किसी के लिए भी, गाओपिंग दीवार पर माथा फोड़ेगी! गाओपिंग का मन जितना कोमल है उतना कठोर भी है, लेकिन माथा तो कोमल ही है, और दीवार से टकराता फिरे इसके लिए तो कतई नहीं है!